Tuesday, November 18, 2008

दिनकर की कुछ प्रेरक पंक्तियां

वैसे तो भारतीय हिन्दी साहित्य को कवियों की एक लंबी शृंखला ने सम्पन्न किया है किन्तु उन सबों में दिनकर की एक अलग ही बात है। आइए, उन्हीं के काव्य-ग्रन्थों में से चयनित कुछ पुष्पों की सुगन्ध को ग्रहण करते हैं-

[1]
तोड़ी प्रतिज्ञा कृष्ण ने, विजयी बनाने पार्थ को
अघ है न क्या, नय छोड़ना लखकर, स्वजन के स्वार्थ को । (प्रणभंग से...)

[2]
रे रोक युधिष्ठिर को न यहां, जाने दे उनको स्वर्ग धीर
पर, फिरा हमें गाण्डीव-गदा, लौटा दे अर्जुन-भीम वीर। (हिमालय, रेणुका से...)

[3]
हटो व्योम के मेघ, पन्थ से, स्वर्ग लूटने हम आते हैं।
"दूध, दूध" ओ वत्स! तुम्हारा दूध खोजने हम जाते हैं। (हाहाकार, हुंकार से...)

[4]
प्यारे स्वदेश के हित अंगार मांगता हूं।
चढ़ती जवानियों का शृंगार मांगता हूं। (आग की भीख, सामधेनी से...)

[5]
फावड़े और हल राजदण्ड बनने को हैं,
धूसरता सोने से शृंगार सजाती है,
तो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। (जनतन्त्र का जन्म, नील कुसुम से...)

[6]
कहो, मार्क्स से डरे हुओं का, गाँधी चौकीदार नहीं है,
सर्वोदय का दूत किसी संचय का पहरेदार नहीं है। (काँटों का गीत, नील कुसुम से...)

[7]
वज्र की दीवार जब भी टूटती है,
नींव की यह वेदना विकराल बनकर छूटती है,
दौड़ता है दर्द की तलवार बनकर,
पत्थरों के पेट से नरसिंह ले अवतार। (नींव का हाहाकार, नील कुसुम से...)

[8]
क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो।
उसको क्या, जो दन्तहीन, विषरहित, विनीत सरल हो। (कुरुक्षेत्र से...)

[9]
पापी कौन ? मनुज से उसका न्याय चुराने वाला?
या कि न्याय खोजते विघ्न का शीश उड़ाने वाला? (तृतीय सर्ग, कुरुक्षेत्र से...)

[10]
जिसने श्रम जल दिया, उसे, पीछे मत रह जाने दो।
विजित प्रकृति से सबसे पहले उसको सुख पाने दो।
जो कुछ न्यस्त प्रकृति में है, वह मनुज मात्र का धन है।
धर्मराज, उसके कण-कण का अधिकारी जन-जन है। (सप्तम सर्ग, कुरुक्षेत्र से...)

2 comments:

bijnior district said...

परशुराम की प्रतीक्षा मे दिनकर ने यह भी कहा है,
समर शेष हैं नही हिंस्त्र का दोषी केवल व्याघ।
जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।
आैर
जहां शस्त्र बल नही शास्त्र पछताते रोतें है।
ऋषियों को भी सिद्धी तभी तप में मिलती है,
जब पहरे पर स्वयं धनुर्धर राम खड़े होते है ।
अशोक मधुप

संगीता-जीवन सफ़र said...

बहुत सुंदर प्रस्तुती बधाई/