Wednesday, October 22, 2008

SL है जे.एन.यू. का दिल !!!

1969ई. में जे.एन.यू. की स्थापना के समय ही भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अध्ययन संस्थान (SLL&CS)भी अस्तित्व में आया । यह संस्थान जे.एन.यू. के सभी संस्थानों में सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है । यही वह संस्थान है जिसकी बदौलत "बुजुर्गों" के इस गढ़ में हम जैसे कुछ "टीन एजर्स" भी दिख जाते हैं । 

इस संस्थान में विश्व की कुछ महत्त्वपूर्ण भाषाओं में अधिगम एवं शोध की सुविधा प्रदान की जाती है, तथा यहां पढ़ने के लिए भारतीयों के अलावे विदेशी छात्र भी आते हैं । इस संस्थान में कुछ विदेशी भाषाओं (यथा- चीनी, जापानी, कोरियाई, स्पेनिश, जर्मन, अरबी, फारसी,फ्रांसीसी इत्यादि)में इंटीग्रेटेड पांचवर्षीय (बीए+एमए) कार्यक्रम के साथ एम.फिल. एवं पी.एच.डी. भी कराया जाता है, एवं कुछ विदेशी भाषाओं (यथा- इटालियन, पुर्तगाली,  मंगोलियाई,  पश्तो,  इंडोनेशिया की "बहासा_भाषा" इत्यादि) में पार्ट-टाइम सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा कोर्स चलाया जाता है । इसके अतिरिक्त हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, भाषा-विज्ञान इत्यादि में द्विवर्षीय एम.ए. पाठ्यक्रम से पढ़ाई की शुरुआत होती है तथा शोध (एम.फिल.+पी.एच.डी.) भी कराया जाता है । 

इस संस्थान की अपनी एक पत्रिका "Journal of the School of Languages(JSL)" है, जिसमें साहित्य, भाषा,  तुलनात्मक अध्ययन, अनुवाद इत्यादि के क्षेत्र में देश-विदेश में हो रहे मह्त्त्वपूर्ण शोध का प्रकाशन होता है । इस संस्थान के अंतर्गत ग्यारह केन्द्र आते हैं, जो निम्नलिखित हैं :-

1) अरबी एवं अफ्रीकी अध्ययन केन्द्र (CAAS)
2) चीनी एवं दक्षिण-पूर्व एशियाई अध्ययन केन्द्र (CCSEAS)
3) फ्रेंच एवं फ्रेंकोफोनिक अध्ययन केन्द्र (CFFS)
4) जर्मन अध्ययन केन्द्र (CGS)
5) भारतीय भाषा केन्द्र (भाभाके_CIL)
6) जापानी, कोरियाई एवं उत्तर-पूर्व एशियाई अध्ययन केन्द्र (CJKNEAS)
7) अंग्रेजी अध्ययन केन्द्र (CES)
8) भाषाविज्ञान अध्ययन केन्द्र (CL)
9) फारसी एवं मध्य एशियाई अध्ययन केन्द्र (CPCAS)
10)रूसी अध्ययन केन्द्र (CRS)
11)स्पेनिश, पुर्तगाली, इटालियन एवं लातिनी अमेरिकन अध्ययन केन्द्र (CSPILAS)

[चित्र www.jnu.ac.in से साभार]

Sunday, October 19, 2008

ये है जे.एन.यू. !!!!

सत्तर के दशक में जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने अपने द्वार शिक्षकों एवं छात्रों के लिए खोले तो वह समय भारतीय विश्वविद्यालय तंत्र में पुराने विषयों के ऊपर नए विषयों एवं नए दृष्टिकोण को स्थापित करने का था । ज.ने.वि. एक ऐसा आधुनिक गुरुकुल है, जहां आने के बाद व्यक्ति का प्रकृति एवं उसकी संतति से तादात्म्य हो जाता है । इस विश्वविद्यालय की कतिपय विशेषताएं निम्न हैं-->

* इस विश्वविद्यालय में शिक्षक एवं छात्र का अनुपात 01:10 है ।
* यहां इस बात पर जोर दिया जाता है कि छात्र अपनी रचनात्मक क्षमता का अधिकतम प्रयोग करें ।
* अन्य विश्वविद्यालयों से यह परीक्षा-पद्धति के मामले में बिल्कुल अलग । यहां की परीक्षा-पद्धति में "बाह्य-परीक्षण" का कोई स्थान नहीं है । जो शिक्षक छात्र को पढ़ाता है वही शिक्षक प्रश्न-पत्र का भी निर्माण करता है, और वही अध्यापक आपके प्रश्न-पत्र की भी जांच करता है ।

यह वह विश्वविद्यालय है जहां आप दो विरोधाभासी चीजें एक साथ होते देख सकते हैं । यथा- जो व्यक्ति कुछ देर पहले तक "बाल-मजदूरी" पर लम्बी-लम्बी बातें करता होगा, कुछ देर बाद ढाबे पर काम करने वाले चौदह वर्षीय बालक को चाय हेतु पुकारता मिलेगा । 

अब बात करते हैं, जे.एन.यू. की प्राकृतिक सुंदरता की । यह विश्वविद्यालय अरावली पर्वत-शृंखला पर लगभग एक हजार एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है । जिसमें से अधिकांशतः क्षेत्र पहाड़ी जंगलों से भरे पड़े हैं । यहां के जंगल में आप गुफाएं भी प्राप्त कर सकते हैं । जानवरों में आप नीलगाय, सियार इत्यादि को सामान्यतया देख सकते हैं । भारत का राजकीय पक्षी "मोर" तो आपको हर जगह मिल सकते हैं । यह भी हो सकता है कि कोई मोर आपके छात्रावास-कक्ष के बालकनी में भी दिख जाए ।

जे.एन.यू. ऐसी जगह है जहां आपको "लघु भारत" का दर्शन हो सकता है । अनेक भाषा, प्रान्त, जाति, धर्म वाले छात्रों का समाज है यह । किन्तु इसकी खासियत यह है कि इतनी विभिन्नता के बावजूद किसी भी छात्र को दूसरे से कोई परेशानी नहीं है । यहां शारीरिक हाथापाई को अभद्रता का द्योतक माना जाता है । आपकी शक्ति का लोहा आपकी तार्किकता से मानी जा सकती है ।

इस विश्वविद्यालय की एक खासियत है इसका समानतावादी दृष्टिकोण । अस्तु, जे.एन.यू. के बारे में विशेष जानकारी के लिए यहां क्लिक कर सकते हैं ।